बापूजी का होस्पिटल में मीडिया द्वारा स्टिंग !

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            आप को यह जानकर हैरानी होगी की जहां चौबीसों घंटे पुलिस की रहती है निगरानी, बिना उच्च पदाधिकारियों की आज्ञा के जिनसे कोई मिल नहीं सकता ; उन्हीं संत श्री आशाराम जी बापू का चोरी छिपे एक मीडिया चैनल ने किया स्टिंग ऑपरेशन | कानून को ताक पर रखने वाली इस मीडिया ने मनघडंत आरोप लगाते हुए अपनी ही पकाई खिचड़ी जनता को परोसते हुए कहा है कि –बापू जी झूठी बीमारी का बहाना लगाकर अस्पताल में भर्ती हुए यह स्टिंग के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा मीडिया कर्मी का कहना है | अब ज़रा ऐसी बचकानी बातें करने वाले मीडिया से पूछा जाये कि अपराधियों को पकड़ने वाली पुलिस ही बीमारियों को जानने और परखने लगे तो सरकार को जेल में बंद कैदियों की स्वास्थ्य सम्बंधी जिम्मेदारियां भी पुलिस को ही सोंप देंनी चाहिये चाहिय | अर्थात् जिन अहम् मुद्दों की जानकारी डॉक्टरों से लेनी चाहिए उन मुद्दों की जानकारी पुलिस कर्मियों से ली जा रही है |

            बेहोश मीडिया को शायद यह भी नहीं पता कि लैब टेक्नीशियन मात्र सेम्पल एकत्र करके उनके परिणाम निकालता निकलता है जो उसके लिए केवल आकड़े हैं तथा उसकी विस्तृत जानकारी से वह अंजान होता है | ऐसे व्यक्ति की बातों को बिना किसी सबूत के मीडिया ने आँख मूंदकर दिखाया कि आशाराम जी बापू के ब्लड सेम्पल बिल्कुल पोज़िटिव हैं | यही नहीं TRP के लिए किसी भी खबर का खून करने वाली मीडिया ने कैसा मज़ाकिया आरोप लगाया कि बापू जी एक कटोरी बदाम खाते हैं | जिन वैज्ञानिक तथ्यों को एक आम व्यक्ति भी जानता है कि एक कटोरी बादाम तो हष्ट– पुष्ट आदमी शायद दो दिन में भी नहीं खा सकता और यदि खा भी ले तो उसे स्वस्थ से अस्वस्थ बनने में समय न लगेऔर बापू जी तो 75 वर्षिय हैं |

मीडिया द्वारा स्टिंग का श्री जगमाल सिंह चौधरी द्वारा खंडन

            आशाराम जी बापू गत १० – १५  वर्षों से Trigeminal Neuralgia नामक भयंकर बीमारी से ग्रस्त चल रहे हैं | यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति किसी भी छोटे – मोटे कारण यहां तक की ब्रश या दातुन करने पर या चहरे पर किसी तरह का तेल या सौन्दर्य प्रसाधन लगाने पर भी भयंकर जानलेवा दर्द से ग्रस्त होने लगता है | यह बीमारी इतनी घातक हैं कि इसका दर्द दिन में कई बार और कभी भी हो सकता हैं| आखों में लाल-गर्म लोहे की सलाखें डालने से या चेहरे को चाकू से काटने से भी इतना दर्द नहीँ होता होगा जितना इस बीमारी में होता हैं! इस बीमारी की जानकारी पुलिस प्रशासन तथा न्यायालय को पहले ही सभी सबूतों और रिपोर्टों सहित दे दी गई थी | लेकिन फ़िर भी उन्हें डॉक्टरी चिकित्सा देने में इतना विलम्ब किया गया | परन्तु बेहोश मीडिया ने इस खबर को जनता तक पहुँचाने की ज़रूरत ही नहीं समझीं |

            यहाँ तक कि जनता को यह भी नहीं बताया गया कि अपने को पीड़िता बताने वाली तथाकथित लड़की और उसके माता पिता ने किस तरह जालसाज़ी करके कम उम्र बता कर न्यायालय तथा कानून के साथ धोखा किया | क्योंकि LIC पॉलिसी जो स्वयं लड़की की माँ द्वारा करवाई गई थी, उसमें में लड़की की उम्र 19 वर्ष से भी अधिक है तथा जोधपुर पुलिस द्वारा पेश प्राथमिक स्कूल का सर्टिफ़िकेट जिसमें उसकी उम्र 18 साल 9 महीने है | अतः सामान्य सा व्यक्ति भी आसानी से अंदाज़ा लगा सकता है कि इस बिबुनियाद केस में कितनी सच्चाई है | लेकिन पक्षपाती मीडिया यह सब जानकर भी झूठी खबरें दिखाकर जनता को गुमराह कर रही है |

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