संत आशारामजी बापू की दस हजार करोड की सम्पत्ति का सच्च !!
संत आशारामजी बापू की दस हजार करोड की सम्पत्ति का सच्च !!
पिछले कुछ दिनों से अखबारों में संत आशारामजी बापू के दस हजार करोड़ के साम्राज्य की रिपोर्टें ही छाई हुईं हैं । मैं इसी बारे में कुछ सवाल पूँछना चाहती हूँ ।
1) ये सवाल कौन लोग पूछ रहे हैं ?
2) क्या ये खबर वाकई में सच है ?
3) और अगर ये सच है भी, तो क्या इससे फर्क पड़ना चाहिए? सूरत के पुलिस आयुक्त ने बापूजी की संपत्ति के विषय में ऑन रिकॉर्ड कहा है कि उनकी संपत्ति का निवल मूल्य दस हजार करोड़ रुपए है ! अगर आयुक्त ऐसा कहता है, तो हो सकता है कि ये सच हो … लेकिन आइए एक बार हम संक्षिप्त रूप से देखते हैं :
1) क्या गुजरात उच्च न्यायालय ने नारायण साईं को अवैध रूप से भगोड़ा घोषित करने के लिए (आयुक्त अस्थाना की अध्यक्षता में) सूरत पुलिस को फटकार नहीं लगाई थी ? ( उच्च न्यायालय के अनुसार) वे वास्तव में अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग कर रहे थे ।
2) इसके अलावा, दिल्ली के रोहिणी जिला न्यायालय ने भी आवश्यक दस्तावेज नहीं लाने पर सूरत के पुलिस आयुक्त अस्थाना को फटकार लगाई । और ये सभी के लिए आश्चर्य की बात थी जब संबंधित पुलिसवालों के पास अपने मोबाइल फोन में WhatsApp के माध्यम से माननीय न्यायाधीश को आवश्यक दस्तावेज दिखाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था ! पर यहाँ एक और बात विचारणीय है कि क्या संत आशाराम जी बापू ने कभी पूर्वोक्त साम्राज्य के बारे में कहा या स्वीकार किया ? सुनने में थोड़ा अटपटा ज़रूर लगेगा लेकिन क्या मीडिया का बिना किसी पक्षपात के सही खबर भेजने का ‘स्वच्छ ट्रैक रिकॉर्ड’ है ? क्या हमें इस तरह की ‘खबरें’ नहीं मिलती रही हैं – बलात्कार, भगोड़ा नारायण साईं, गुरुकुलों में सैकड़ों लड़कियों ने आत्महत्या की, भोलानंद, राहुल सचान, आदि । लेकिन बाद में यही सारी खबरें झूठ और निराधार निकलीं । अधिक विस्तार में जाने से फायदा नहीं, क्योंकि मीडिया वो तटस्थ मंच नहीं, जहाँ से सच्ची और विश्वसनीय ख़बरों को पाया जा सके ।
मीडिया के बारे में, एक पूर्व केजीबी (KGB) खुफिया अधिकारी ने बताया कि मीडिया के पास अद्भुत शक्ति है जिसका इस्तेमाल जनता के मन में पूर्व निर्धारित राय बनाने के लिए किया जाता है । उनकी इसी बात से मीडिया की सच्चाई पता चल जाती है ! खैर मेरा अगला सवाल है कि क्या इससे फर्क पड़ना चाहिए ?
a)अगर ये मानकर चलें कि बापूजी के पांच करोड़ साधक हैं और हर साधक लगभग 2000 रूपऐ (USD 35) दान करता आ रहा है पिछले 30 सालों से तो इतनी राशि तो आराम से हो जाती है ! इसलिए हैरानी होती है कि इस राशि से किसी को क्या परेशानी हो सकती है ? साधकों और भक्तों ने वो राशि अपनी इच्छा और ख़ुशी से दी है और फिर वो पैसे एक ट्रस्ट के नाम से रजिस्टर्ड हैं ! इसलिए इस बात से न तो किसी को फर्क पड़ना चाहिए और न ही ये किसी के मतलब की बातें हैं ! ये मामला भक्तों और रजिस्टर्ड ट्रस्ट के बीच का है, इससे क्यों किसी को परेशानी हो रही है !
b) बापूजी ने अपने अलावा बाकी सभी के लिए इन पैसों का उपयोग किया ! अपने भक्तों की प्रार्थना पर उन्होंने 600 से भी अधिक जगहों पर सत्संग किया और इस दौरान उन्होंने कार या रेल यातायात को ही तवज्जो दी परन्तु ऐसे सफ़र के दौरान थकान के चलते उन्होंने विमानों का उपयोग शुरू किया पर वो भी ‘इकोनॉमी क्लास’ ! परन्तु जब ये भी कष्टदायी होने लगा तो उन्होंने हेलिकॉप्टर का प्रयोग शुरू किया और इसके खर्चे न तो उन्होंने उठाये और न ही आश्रम ट्रस्ट द्वारा उठाए गए, बल्कि ये खर्च उन्होंने किया जो बापूजी के साथ कुछ पल व्यतीत करना चाहते थे !
c)पिछले कई दशकों से बापूजी मानव कल्याण और समाज सेवा में रत रहे हैं ! उन्होंने लोगों के सशक्तिकरण के लिए कई उदारता पूर्ण पहल की ! उनके विभिन्न सेवाकार्य और धर्मार्थ गतिविधियां आज हर क्षेत्र में विस्तृत हैं जो लाखों – लाखों लोगों का जीवन सुधार रही हैं ! उनके मार्गदर्शन और निर्देशों के अनुसरण में आश्रम / योग वेदांत सेवा समिति द्वारा सेवा कार्य सुचारु रूप से चलते रहते हैं ! विश्व व्यापी लगभग 425 आश्रम देश विदेश में आध्यात्म की शिक्षा देते हुए ध्यान शिविरों का आयोजन करते हैं ! 1400 से अधिक समितियां बापूजी के मार्गदर्शन में कार्य कर रही हैं ! 17,000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र बच्चों में सुसंस्कार सिंचन करते हैं और लगभग 50 गुरुकुलों के माध्यम से विद्यार्थियों में सद्गुणों का रोपण किया जाता है ! साथ ही अनेकों सेवा कार्य भी आयोजित किये जाते हैं ।
उदाहरणार्थ :
• ग्रामीण विकास
• विद्यार्थी सशक्तिकरण
• नि: शुल्क ध्यान शिविर/ कैम्प
• स्वास्थ्य देखभाल / मोबाइल चिकित्सा सुविधाएं
• आपदा राहत • नशा मुक्ति प्रोग्राम्स • युवा सेवा संघ (विशेष युवा कार्यक्रम)
• महिला उत्थान मंडल (महिला सशक्तिकरण) आदि !
अब मैं “मीडिया” से कुछ सवाल पूंछना चाहती हूँ :
1) रोमन कैथोलिक चर्च के पोप के पास अपना महल और विभिन्न लग्ज़री कारें है । साथ ही निजी जेट विमानों में यात्रा भी करते हैं !
2) रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए विश्व भर में अरबों डॉलर की धन राशि का व्यय किया जाता है, खासकर भारत में ! (ज़रूर देखिये : ’10 / 40 ‘ खिड़की और ‘ जोशुआ प्रोजेक्ट, जहाँ पर लोग प्रार्थना करते दिखते हैं कि हिन्दू धर्म को छोड़कर बाहर आ जाओ) !
3) मदर टेरेसा ने एक बार कहा था कि गरीब व्यक्ति को वेदना के दुःख से ही मर जाना चाहिए क्योंकि ये हमें जीसस क्राइस्ट के दुःख दर्द की याद दिलाता है ! हालाँकि उन्होंने भारत भ्रमण किया था गरीब और अछूतों की चिकित्सा के लिए, पर उन्होंने इस राशि का उपयोग उन गरीबों के उपचार के लिए कभी नहीं किया, बल्कि जब वो खुद बीमार हुईं तब सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों का दौरा करने में इसे खर्च किया ! और उनकी इस सच्चाई को किसी ने हम तक नहीं पंहुचाया ! क्या ऐसा न करना हमें गलत जानकारी देने जैसा नहीं है ? क्या मीडिया कभी इन सच्चाइयों से देश की जनता को रुबरु करवाएगा ? क्या ये उसका नैतिक कर्त्तव्य नहीं है ?
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